Earthquake : Kyu Aaya Turkey Syria Me Tabaahi
यह कुदरत का मैसेज है, जब धरती पर रहने वाले जीव-जंतुओं को इंसान मार-मार कर अपने पेट को कब्रिस्तान बनाता है, तब सृष्टि पुनः विनाश करके सृजन करती है। इंसान अपनी सुख सुविधा के लिए भौतिकता की तरफ इतना अग्रसर है कि वह धरती के एक-एक इंच को नाप कर अपनी बपौती समझता है।

ध्यान रहे हमारा आपका कुछ नहीं है यह शरीर लीज पर कुछ दिनों या कुछ साल के लिए मिली है ताकि आप अपने कर्मों को सत्कर्म में बदल सकें। यह मौका होता है कि हम इंसान हैं। कुछ तो सृष्टि के संवारने के लिए करें। हमें इस धरती पर रहने का मौका मिला है, हमें सांसें मिल रही हैं तो हमारा भी फर्ज है कि उस कर्ज को थोड़ा सा कम करना चाहिए, हम इंसान होकर क्या कर रहे हैं सोचने वाला विषय है।
केवल हम खाने के लिए, ऐश करने के लिए और बच्चे पैदा करने के लिए आये हैं। इतना तो ठीक है लेकिन जब सब कुछ यहीं रह जाना है फिर भी हम अपनी आने वाली पीढ़ी के अपनी नियति को खराब करके कुकर्म करते रहते हैं।

भूकम्प, बाढ़, सुनामी, आकाशीय बिजली आदि आपदा किसी भी मनुष्य के निवारण के वश की बात नहीं है। हमें आत्मबोध करने की जरूरत है, हम सभी को कुदरत के बनाये हुए नियमों के साथ चलने चाहिए, अड़ियल और टशन में आकर यह नहीं सोचना चाहिए कि मैं ही हूं* असल में मैं जो शब्द है यह इस शरीर का है जो एक दिन नष्ट हो जाना है। धरती पर अपने शरीर को बोझ लेकर ढोने के लिए नहीं आये हो अच्छे कर्म करते रहिए जिसे सत्कर्म कहते हैं क्योंकि दो-चार पीढ़ी के बाद क कर्म ही रह जाएंगे बाकी सब कुदरत ले लेगी।

भूकम्प में सभी मृतकों को विनम्र श्रद्धांजलि कब कौन जाने वाला है यह कुदरत के हाथ में ही है सभी लोग प्रेम, प्यार और सहकार के साथ अग्रसर रहिए। हर किसी को जीने का मौका दीजिये
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