SOURCES OF INTERNATIONAL LAW ,अंतर्राष्ट्रीय विधि के स्रोत , संहिताकरण का अर्थ

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By Anand Pandey

SOURCES OF INTERNATIONAL LAW -अंतर्राष्ट्रीय विधि के निम्नलिखित स्रोत हैं

  • अंतर्राष्ट्रीय अभिसमय (International Conventions) : आधुनिक युग में जबकि अंतरराष्ट्रीय वित्तीय अपने विकसित रूप में है अंतरराष्ट्रीय अभिसमय ( जिसमें सभी प्रकार की अंतरराष्ट्रीय संधियां शामिल होती हैं) ने अंतर्राष्ट्रीय विधि के स्रोतों में सर्व प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के बारे में उससे संबंधित मामले में अंतर्राष्ट्रीय विधि जानने के लिए सर्वप्रथम अंतर्राष्ट्रीय संधियों को ही देखता है 1969 की संधियों की विधि संबंधी वियना अभी समय के अनुच्छेद 2 के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय संधियां वह करार हैं जो दो या दो से अधिक राज्य आपस में अपने संबंधों को अंतर्राष्ट्रीय विधि द्वारा बंधन कारी बनाते हैं अंतर्राष्ट्रीय संध्या दो प्रकार की हो सकती हैं विधि निर्माण करने वाली संधियां और संविदा संधियां
  • विधि निर्माण करने वाली संधियां: स्टाक के अनुसार विधि निर्माण करने वाली संधि के प्रावधान अंतर्राष्ट्रीय विधि के प्रत्यक्ष स्रोत हैं
  • अंतरराष्ट्रीय प्रथा: सदियों से अंतर्राष्ट्रीय प्रथाएं अंतर्राष्ट्रीय विधि का सर्वप्रथम स्रोत मानी जाती हैं केवल आधुनिक युग में ही अंतरराष्ट्रीय संघ के विकास के कारण इसका महत्व कम हो गया है परंतु आज भी ने अंतरराष्ट्रीय वित्त के महत्वपूर्ण स्रोतों में से माना जाता है अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संबंधी नियम नियम हैं जिनका विकास सामान्यता लंबी ऐतिहासिक प्रक्रिया द्वारा हुआ है
  • सब राष्ट्रों द्वारा स्वीकृत विधि के सामान्य नियम: न्याय के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की संविधान के अनुच्छेद 38 में शब्द राष्ट्रों द्वारा स्वीकृत विधि के सामान्य सिद्धांतों को तीसरे क्रम में लिखा गया है अर्थात अंतरराष्ट्रीय संध्या तथा अंतरराष्ट्रीय प्रथा के बाद तीसरा स्रोत सभ्य राष्ट्रों द्वारा स्वीकृत विद के सामान्य सिद्धांत हैं
  • न्यायालयों एवं न्यायाधिकरण के निर्णय: यह स्रोत प्रत्यक्ष स्रोत नहीं है न्यायालय संबंधित विषय पर अंतरराष्ट्रीय विद के नियमों को जानने के लिए न्यायाधिकरण के निर्णय तथा वित्त शास्त्रियों एवं भाष्य कारों की रचनाओं को गॉड साधन के रूप में देखा जा सकता है न्यायाधिकरण एवं न्यायालयों के निर्णय को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ,राज्यों के न्यायिक निर्णय तथा अंतरराष्ट्रीय विवाचन न्यायालय के निर्णय
  • विदिशा स्त्रियों तथा भाष्य कारों की रचनाएं विदिशा स्त्रियों तथा भाषा कारों की रचनाएं अंतर्राष्ट्रीय विधि के स्वतंत्र स्रोत नहीं मानी जा सकती परंतु कभी-कभी इनकी रचनाओं तथा मतों के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय विधि का विकास होता है
  • अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के अंगों के निर्णय : आधुनिक युग में अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के अंगों के निर्णय भी अंतर्राष्ट्रीय विधि के विकास में सहायता सहायता पहुंचाते हैं अतः वह भी अंतर्राष्ट्रीय विधि के स्रोत हैं अंतर्राष्ट्रीय विधि के अन्य स्रोत निर्णय अंतरराष्ट्रीय सौजन्य राज्यों के पत्र आदि राज्यों द्वारा अपने अधिकारियों को प्रेषित अनुदेश तर्क साम्या तथा न्याय

संहिताकरण का अर्थ :

संहिता करण से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा विधि के विद्यमान नियमों को एक संहिता के रूप में प्रस्तुत किया जाता है अर्थात विद के विद्यमान नियमों को क्रम से व्यवस्थित करना ही संहिता करण कहलाता है संहिता करण में समय तथा परिस्थितियों के अनुसार विधि परिवर्तन पर संशोधन करना भी शामिल है वास्तव में संहिता करण विधि के क्रमिक विकास का एक उपाय है

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